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व्यायाम के लाभ -निबंध

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व्यायाम के लाभ
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व्यायाम के लाभ -निबंध:- व्यायाम अर्थात कसरत! अंग्रेजी में इसके लिए ‘एक्सरसाइज’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसके महत्त्व से हर आदमी परिचित है। इसके लाभ क्या हैं, सामान्य रूप से इस बात को सभी जानते हैं। फिर भी यह बात दुख के साथ कहनी और स्वीकार करनी पड़ती है कि आज इस महत्त्वपूर्ण कार्य की ओर आम तौर पर ध्यान नहीं दिया जाता, या बहुत कम दिया जाता है। यही कारण है कि आज का जीवन व्यक्ति और समाज दोनों स्तरों पर अनेक प्रकार के भयानक रोगों का, महामारियों और अव्यवस्थाओं का शिकार होता जा रहा है।

व्यायाम के लाभ

एक कहावत है— स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन तथा आत्मा का निवास हुआ करता है। यह भी कहा जाता है कि बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य और सफलता के लिए परिश्रम भी स्वस्थ शरीर द्वारा ही संभव हुआ करते हैं । इस प्रकार स्वस्थ मन, स्वस्थ बुद्धि, स्वस्थ आत्मा आदि के लिए शरीर को स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी है । जीवन जीने के लिए, जीवन की हर प्रकार की छोटी-बड़ी आवश्यकता पूरी करने के लिए मनुष्य को निरन्तर परिश्रम करना पड़ता परिश्रम भी स्वस्थ व्यक्ति ही कर सकता है, निरन्तर अस्वस्थ और रोगी रहने वाला नहीं । इन सभी बातों से स्पष्ट पता चल जाता है कि नियमित व्यायाम करना क्यों आवश्यक है, उसका महत्त्व और लाभ क्या है ? स्वस्थ मन-मस्तिष्क वाला व्यक्ति ही जीवन में हर बात पर ठीक से विचार कर सकता है । उसके हानि-लाभ से परिचित हो सकता है। अपने जीवन को उन्नत तथा विकसित बनाने के लिए कोशिश कर सकता है। ऐसा करके वह बाहरी जीवन के सभी सुख तो पा ही सकता है, जिसे आत्मिक सुख और आत्मा का आनन्द कहा जाता है, उसका अधिकारी भी बन जाता है ! स्पष्ट है कि इस प्रकार के सभी अधिकार पाने के लिए शरीर का स्वस्थ, सुन्दर और निरोगी होना परम आवश्यक है।

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शरीर की स्वस्थता और सुन्दरता नियमपूर्वक व्यायाम करके ही कायम रखी और प्राप्त की जा सकती है। मन, बुद्धि और आत्मा भी तभी स्वस्थ-सुन्दर होंगे जब शरीर स्वस्थ-सुन्दर होगा । अतः व्यायाम का लाभ और महत्त्व स्पष्ट है। आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। वह आदमी को कामचोर तो बना ही देता है, धीरे-धीरे उसके तन-मन को जर्जर और रोगी भी बना दिया करता है। मनुष्य की सारी शक्तियाँ समाप्त कर उसे कहीं का नहीं रहने देता। इस आलस्य रूपी महाशत्रु से छुटकारा पाने के लिए आवश्यक है कि प्रतिदिन व्यायाम करने का नियम बनाएँ । व्यायाम करने का यह एक नियम ही जीवन की धारा को एकदम बदल सकता है। यह आदमी को स्वस्थ- सुन्दर तो बनायेगा ही, उसे परिश्रमपूर्वक अपना काम करने की प्रेरणा भी देगा। हर प्रकार से चुस्त और दुरुस्त रागा हमेशा चुस्त और दुरुस्त रहने वाला व्यक्ति जीवन में सहज ही सब कुछ पाने का अधिकारी बन जाया करता है । इसके लिए कठिन और असंभव कुछ भी नहीं रह जाता। जीवन की सारी खुशियाँ, सारे सुख उसके लिए हाथ पर रखे आमले के समान सहज सुलभ हो जाया करते हैं !

स्वस्थ्य-सुन्दर, चुस्त-दुरुस्त, क्रियाशील और गतिशील रहने के लिए व्यायाम आवश्यक है, ऊपर के विवेचन से यह बात स्पष्ट हो जाती है । व्यायाम के कई रूप और आकार हैं। अर्थात् स्वस्थ रहने के लिए हम अनेक प्रकार के व्यायामों में से अपनी आवश्यकता और सुविधा के अनुसार किसी भी एक रूप का चुनाव कर सकते हैं । प्रातः काल उठकर दो-चार किलोमीटर तक खुली हवा और वातावरण में भ्रमण करना सबसे सरल, सुविधाजनक, पर सबसे बढ़कर लाभदायक व्यायाम है। इसी प्रकार सुबह के वातावरण में दौड़ लगाना भी व्यामाम का एक अच्छा और सस्ता रूप माना जाता है । बैठकें लगाना, डण्ड पेलना, कुश्ती लड़ना, कबड्डी खेलना आदि सस्ते, व्यक्तिगत और सामूहिक देशी ढंग के व्यायाम हैं । कोई भी व्यक्ति अकेला या कुछ के साथ मिलकर सरलता से इनका अभ्यास कर आदी बन सकता है। यदि किसी व्यक्ति की रुचि ललित कलाओं में है, तो वह नृत्य के अभ्यास को भी एक अच्छा और उन्नत व्यायाम मानकर चल सकता है। ध्यान रहे, व्यायाम में शरीर के भीतर-बाहर के सभी अंगों का हिलता-डुलना, साँसों का उतार-चढ़ाव आदि आवश्यक है। अतः कैरम या ताश खेलना जैसे खेलों को व्यायाम करना नहीं कहा जा सकता । हाँ, योगासन करना बड़ा ही अच्छा और उन्नत किस्म का व्यायाम माना जाता है। योगाभ्यास तन, मन और आत्मा सभी को शुद्ध करके आत्मा को भी उन्नत और बलवान बनाता है ।

आज तरह-तरह के खेल खेले जाते हैं। हॉकी, फुटबॉल, वालीबॉल, बास्किट बॉल, टैनिस, क्रिकेट आदि सभी खेल सामूहिक स्तर पर खेले जाते हैं। इनसे शरीर के प्रायः सभी अंगों का व्यायाम तो होता ही है, मिल-जुलकर रहने और काम करने की प्रवृत्ति को भी बल मिलता है। सामूहिकता और सामाजिकता की भावनाओं का अभ्यास भी होता है, इनके विकास का भी अच्छा अवसर प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार की बातों को हम व्यायाम प्राप्त होने वाले अतिरिक्त लाभ कह सकते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये सब बातें सामूहिक या फिर सामाजिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक हुआ करती हैं, सो खेलों का व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ सारे जीवन और समाज को स्वस्थ- सुन्दर रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकता है।

पहले छोटे-बड़े, प्रायः सभी आयु वर्ग के लोग अपनी-अपनी ज़रूरत और सुविधा के अनुसार किसी-न-किसी प्रकार का व्यायाम अवश्य किया करते थे; किन्तु आज का जीवन कुछ इस प्रकार का हो गया है कि वह अभ्यास छूटता जा रहा है, लगभग छूट ही चुका है । एक तो लोगों में पहले जैसा उत्साह ही नहीं रह गया, दूसरे पहले के समान सुविधाएँ भी नहीं मिल पातीं । अभाव और मारामारी दूसरों को गिराकर भी खुद आगे बढ़ जाने की अच्छी दौड़ ने आज जीवन को इतना अस्त-व्यस्त बना दिया है कि अपने स्वास्थ्य तक की ओर उचित ध्यान दे पाने का समय हमारे पास नहीं रह गया ! उस पर हम लोग प्रदूषित वातावरण में रहने को विवश हैं। परिणाम हमारे सामने है। आज तरह-तरह की नयी बीमारियों ने हमारे तन-मन को ग्रस्त कर लिया है। खाना तक ठीक पचा नहीं पाते । बीमारियाँ बढ़ने के साथ-साथ डाक्टरों, अस्पतालों की भरमार हो गयी है। ज़रा-ज़रा-सी बात के लिए डॉक्टरों, डॉक्टरी सलाह और दवाइयों के मुहताज होकर रह जाना वास्तव में सामूहिक अस्वस्थता का लक्षण ही कहा जा सकता है।

स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि इस सामूहिक अस्वस्थता से उबरने का आखिर उपाय क्या है ? उत्तर और उपाय एक ही है – व्यायाम ! किसी भी प्रकार के वैयक्तिक या सामूहिक व्यायाम करने के आदी बनकर ही इस प्रकार की विषम परिस्थितियों से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है। नियमपूर्वक व्यायाम करना, साफ-सुथरे वातावरण में रहना वह रामबाण औषधि है, कि जिससे हर व्यक्ति और पूरे समाज का कल्याण हो सकता है। यदि व्यायाम और उससे प्राप्त लाभ की तरफ ध्यान न दिया गया, तो व्यक्ति और समाज सभी अस्वस्थ हो जायेंगे, दुर्बल हो जायेंगे और दुर्बल को जीने का अधिकार नहीं हुआ करता, यह प्रकृति का नियम है । सो अपने और समाज के विनाश से बचने के लिए हमें व्यायाम के लाभदायक मार्ग पर आज से ही चलना शुरू कर देना चाहिए ।

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Zaheer Usmani

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