समूहार्थक शब्द (Collective Words): सामान्य बोलचाल की भाषा में बहुत से शब्द ऐसे प्रयुक्त होते हैं, जिनसे समूह या समुदाय का बोध होता है। अंग्रेजी भाषा में ऐसे शब्दों को Collective Noun कहा गया है। उदाहरणार्थ – सेना और ढेर शब्द। सेना शब्द से सैनिकों के समूह का बोध होता है, इसी प्रकार ढेर शब्द से किसी वस्तु (अन्न आदि) के एकत्रित समूह का बोध होता है। ऐसे शब्दों को समूहार्थक शब्द कहते हैं।
समूहार्थक शब्द दो प्रकार के होते हैं – चेतन प्राणियों के समूहार्थक शब्द और अचेतन जड़ के समूहार्थक शब्द। समूहार्थक शब्दों की परीभाषा कुछ इस प्रकार की सकती है।-
“वे विकारी शब्द जिनसे अनेक व्यक्तियों, जीवों और जड़ पदार्थों के समूह या समुदाय का बोध होता है, समूहार्थक शब्द कहलाते हैं।“
विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए समूहार्थक शब्दों की सूची प्रस्तुत है –
अवलि या अवली (संस्कृत में ‘अवलि’ शब्द बनता है। हिन्दी में ‘अवलि’ तथा ‘अवली’ दोनों ही प्रचलित हैं) प्रश्नों की अवलि (प्रश्नावलि या प्रश्नावली), नियमों की अवलि (नियमावलि या नियमावली), दोहों की अवलि (दोहावलि या दोहावली) आदि।
अम्बार | पुस्तकों का अम्बार, कपड़ों का अम्बार, लकड़ी का अम्बार |
अमराई | आम के पेड़ों का समूह |
आगार | कोष का आगार (कोषागार), धन का आगार (धनागार), ग्रन्थों का आगार (ग्रन्थागार) |
कक्षा | विद्यार्थियों की कक्षा |
कुल | गुरुकुल, आचार्यकुल, ब्राह्मणकुल, क्षत्रीयकुल, वेश्यकुल, शूद्रकुल इत्यादि |
गण | तारागण, नक्षत्रगण, अध्यापकगण, छात्रगण, कर्मचारीगण |
गुच्छ/गुच्छा | पुष्प गुच्छ/गुच्छा, अंगूर गुच्छ/गुच्छा, चाबियों का गुच्छ/गुच्छा |
गड्डी | ताश की गड्डी, नोटों की गड्डी |
गट्ठर | पुस्तकों का गट्ठर, कपड़ों का गट्ठर |
गोल | खिलाड़ियों का गोल, छात्रों का गोल, गुण्डों का गोल, शत्रुओं का गोल |
घटा | काले बादलों के समूह का नाम (काली घटा) |
चट्टा-बट्टा | खिलौनों का चट्टा-बट्टा |
दल | यात्री दल, डाकू दल, चोर दल, छात्र दल, आन्दोलनकारियों का दल |
पंक्ति | छात्रों की पंक्ति, सिपाहियों की पंक्ति, पौधों की पंक्ति इत्यादि |
बाड़व | समुद्र का अग्निसमूह |
मण्डल/मण्डली | मन्त्रिमण्डल, शिष्टमण्डल, प्रभामण्डल, | गायकों की मण्डली, भजनमण्डली, नाटकमण्डली, मूर्खमण्डली, इत्यादि |
यूथ | गजयूथ, मृगयूथ, वराहयूथ |
राजि | वृक्षराजि, पुष्पराजि, वनराजि इत्यादि |
राशि | अंकराशि, धनराशि, अन्नराशि इत्यादि |
वर्ग | अध्यापक वर्ग, अधिकारी वर्ग, कर्मचारी वर्ग। |
वृन्द | तारकवृन्द, नारिवृन्द, सभ्यवृन्द आदि। |
समाज | शिष्ट समाज, अशिष्ट समाज |
समुदाय | छात्रसमुदाय, जनसमुदाय आदि |
समूह | पशुसमूह, वानरसमूह, मृगसमूह, दानवसमूह, छात्रसमूह इत्यादि। |
संग्रह | कविता संग्रह, विचार संग्रह, भजन संग्रह आदि। |
अरबी फारसी के समूहवाची शब्द
अम्बार (फारसी) | फलों का अम्बार, पुस्तकों का अम्बार। |
कतार (अरबी) | छात्रों की कतार, वृक्षों की कतार। |
काफिला (अरबी) | ऊँटों का काफिला, शरणार्थियों का काफिला, राहगीरों का काफिला। |
कारवाँ (अरबी) | यात्रियों का कारवाँँ। |
गिरोह (फारसी) | डाकुओं का गिरोह, गुण्डों का गिरोह। |
फौजी (अरबी) | सैनिकों का समूह। |
इन शब्दों के अतिरिक्त कुछ ऐसे समूहार्थक शब्द हैं, जो किसी संख्या से आरम्भ होते हैं। साहित्य के विद्यार्थियों के लिए इन शब्दों का ज्ञान उपयोगी है। कुछ महत्त्वपूर्ण संख्यावचक समूहार्थक शब्दों की सूची प्रस्तुत है-
त्रेलोक/त्रिलोक | तीनों लोक (आकाश, पृथ्वी और पाताल ) |
त्रिदेव | तीनों देवता ( ब्रह्मा, विष्णु, महेश) |
त्रिगुण | तीन गुण ( सत्व, रज और तम) |
त्रिऋण | पितृऋण, ऋषिऋण औ देवऋण |
त्रिकाल | भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल। |
त्रिहुताशन | जठराग्नि (पेट की अग्नि), दावाग्नि (जंगल की अग्नि), बड़वाग्नि (समुद्र की अग्नि) |
त्रिदोष | आयुर्वेदशास्त्र के अनुसार वात, पित्त और कफ तीन दोष होते हैं। |
त्रिदु:ख | दैहिक (शरीर सम्बन्धी), दैविक (ईश्वरीय या अनायास ही होने वाले दु:ख), और भौतिक (अभाव सम्बन्धी) तीन प्रकार के दु:ख होते हैं। |
त्रिकर्म | संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण। |
त्रिदिव्यपदार्थ | जीव, ब्रह्म और प्रकृति। |
त्रिवायु | शीतल, मन्द और सुगन्ध वायु। |
त्रिजीव | जलचर, थलचर और नभचर। |
त्रिकाण्ड | ज्ञान, कर्म और उपासना। |
त्रिराम | परशुराम, रामचन्द्र और बलराम। |
चतुर्वेद | चारों वेद-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। |
चतुर्ब्राह्म | ऐतरेय, शतपथ, गोपथ और साम। |
चतुर्युग | सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग। |
चतुर्वर्ण | ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। |
चतुर्दशा | जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय। |
चतुर्दिक | पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण। |
चतुसृष्टि | उद्भिज, अण्डज, स्वेदज और जरायुज। |
चतुर्पुरुषार्थ | धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। |
पंचदेव | विष्णु, शिव, गणेश, दुर्गा और सूर्य। |
पंचतत्त्व | पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। |
पंचदोष | काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार। |
पंचामृत | दूध, दही, घी, शहद, शक्कर। |
पंचकन्या | अहल्या, द्रोपदी, तारा, मन्दोदरी और कुन्ती। |
पंच रत्न | सुवर्ण, मोती, हीरा, लाल और नीलम। |
पंचयम | अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य। |
पंचकोष | अन्नमय, मन्तवय, प्राणमय, ज्ञानमय और आनन्दमय। |
पंचयज्ञ | ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, भूतयज्ञ और अतिथि यज्ञ। |
पंचपिता | जन्मदाता, उपनता (गुरु), अन्नदाता, परमपिता और श्वसुर। |
पंचमाता | जननी, आचार्य पत्नी, सास, जन्मभूमि और राजपत्नी। |
पंचकर्म | आकुंचन, प्रसारण नमन, अवक्षेपण और उत्प्रेक्षण। |
षडांग (शिक्षा) | शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष। |
षट्शास्त्र | न्याय, योग, मीमांसा, वेदान्त, वैशेषिक और सांख्य। |
षड्रस | मीठा, खट्टा, कडुवा, तिक्त, कषाय, क्षार। |
षड्रगुण | ज्ञान, सुख, प्रयत्न, स्पर्द्धा, इच्छा और दु:ख। |
षड्दु:ख | गर्म, जन्म, क्षुधा, जरा (बुढ़ापा), रोग और मृत्यु। |
सप्वार | सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार। |
सप्तद्वीप | शाल्मली, कौंच, शाक, पुष्कर, कुश, प्रलक्ष और जम्बू। |
सप्तसागर | क्षीर, दधि, घृत, इक्षु, मधु, मदिरा और लवण। |
सप्तऋषि | कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज और गौतम। |
अष्टांग | अणिमा, गरिमा, लघिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। |
अष्टधातु | सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल, लोहा, सीसा, राँँग और जस्ता। |
अष्टवसु | पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, सूर्य, चन्द्र और नक्षत्र। |
नवधाभक्ति | कीर्तन, स्मरण, श्रवण, पादसेवन, अर्चन, वन्दन, साख्य, दास और आत्मनिवेदन। |
नवदुर्गा | महागौरी दुर्गा, कालरात्रि, सिद्धिदात्री, कात्यायनी, स्कन्दमाता, कूष्माण्डा, चन्द्रघण्टा, शैलपुत्री और ब्रह्मचारणी। |
नवग्रह | सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु। |
नवरस | शृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भूत और शान्त। |
दशदिशाएँ | पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, आग्नेय, वायव्य, नैर्ऋत्य, ऊपर (आकाश), नीचे (पृथ्वी)। |
दशधर्म | क्षमा, दम, आस्तेय, धृति, शौच, घी, इन्द्रियनिग्रह, विद्या, सत्य, अक्रोध। |
एकादशरुद्र | प्राण, अपान, ब्यान, समान, प्रदान, नागर, कूर्म, कृकल, देवदत्त, धनंजय और आत्मा। |
द्वादशराशि | मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। |
द्वादशभूषण | नूपुर, किंकणी, हार, नथ, चूड़ी, अँँगूठी, शीशफूल, बिन्दी, कंकण, कण्ठश्री, टीका और बाजूबन्द। |
चतुर्दशलोक | भू, भुव:, मह:, जन:, तप:, सत्य, तल, अतल, वितल, तलातल, रसातल और पाताल। |
चतुर्दशविद्या | ब्रह्मज्ञान, रसायन, श्रुति, वैदिक, ज्योतिष, व्याकरण, धनुष, जलतरंग, संगीत, नाटक घुड़सवारी, कोकशास्त्र, चोरी और चातुर्य। |
चौदह रल | श्री, रम्भा, विष, वरुणी, अमृत, शंख, ऐरावत, धनुष, धनवन्तरि, कामधेनु, कल्पवृक्ष चन्द्रमा, उच्चै:श्रवा, कौस्तुभमणि। |
षोड्श संस्कार | गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, चूड़ाकर्म, अन्नप्राशन, कर्णवेध, उपनयन, वेदारम्भ, समावर्तन, विवाह, वानप्रस्थ, संन्यास और अन्त्येष्टि। |
सोलह शृंगार | अंगशौच, मज्जल, दिव्यवस्त्र, महावर, केश, माँँग, ठोड़ी, माथा, मेहन्दी, उबटन, भूषण, सुगन्ध, मुखराज, दन्तराग, अधरराग, काजल। |
अठारह पुराण | ब्रह्म, विष्णु, शिव, पद्म, श्री, भागवत, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, वाराह, स्कन्द, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरुड़ और ब्रह्माण्ड पुराण। |
चौबीस अवतार | सनत्कुमार, वाराह, नारद, नरनारायण, कपिल, दत्तात्रेय, यज्ञपुरुष, ऋषभ, पृथु, मत्स्य, कूर्म, धनवन्तरि, व्यास, मोहिनी, नृसिंह, वामन, परशुराम, हंस, कृष्ण, राम, हयग्रीव, हरि, बुद्ध और कल्कि। |